ऐसे यातायात प्रबंधन से तो तौबा कर रहे दूनवासी

विधानसभा सत्र व वीआईपी मूवमेंट तक ही दिखती है सक्रियता
चंद जवानांे एवं होमगार्ड्स के कंधांे पर व्यवस्थाओं का भार

देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यातायात प्रबंधन पूरी तरह से पटरी से उतर चुका है। हालात यह हो चुके हैं कि अभी स्कूल भी पूरी तरह से संचालित नहीं हैं और दून की सड़कांे पर पीक ऑवर में भली जाम की स्थिति नजर आर ही है। राजधानी की कुछ खास सड़कंे तो नियमित जाम का हिस्सा है जिसमें पुलिस कार्यालय से लेकर घंटाघर, सर्वे चौक, धर्मपुर, जोगीवाला, सर्वे चौक, एमकेपी रोड, दिलाराम बाजार मुख्य हैं।
हाल ही में दून की कमान संभालने के साथ एसएपी जन्मेजय खंडूड़ी ने तत्परता दिखाते हुए यातायात सुधार की दिशा मंे कुछ आस जगाई थी लेकिन इसका कोई खास असर दून की यातायात व्यवस्था मंे देखने को नहीं मिला। पार्किंग से लेकर यातायात संचालन का प्रबंधन बुरी तरह से डगमगा चुका है। सड़कों पर ठेलियां, अतिक्रमण सब कुछ पुलिस की नाक के नीचे चल रहा हैं। एस्ले हाल पर वर्षो से पुलिस ठेलियांे को खदेड़ नहीं पाई तो वहीं सडकांे पर चल रहे ऑटो वर्कशाप एक नई मुसीबन बन गए हैं।
हर अधिकारी नया कार्यभार संभालने के साथ पूरी शहर की कायनात को बदलने का भरोसा दिलाता लेकिन अव्यवस्थाओं की बुनियाद इस प्रकार से मजबूत हो चुकी है कि इसे नेस्तनाबूत करना अब आसान नहीं है। यातायात की कमान चंद यातायात के जवानांे एवं होमगाडर््स के भरोसे चल रही है, जबकि यातायात सुधार संचालन में सीपीयू की भूमिका कभी चालान काटने से आगे बढ़ती ही नहीं है। विधानसभा सत्र या वीआईपी मूवमेंट के समय दिखाई जाने वाली तत्परता यदि हमेशा दिखाई जाई तो शायद कुछ हद तक दून में लगने वाले जाम से कुछ राहत मिल सके।