पर्यावरण दिवस पर वॉइस ऑफ नेचर ने किया वृक्षारोपण

गौरा देवी जैव विविधता तालाब में डॉ0 मधु थपलियाल की अगुवाई में वॉइस ऑफ नेचर द्वारा वृक्षारोपण किया।

DEHRADUN: आज विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में गौर देवी जैव विविधता तालाब में डॉ0 मधु थपलियाल की अगवाई में वॉइस ऑफ नेचर द्वारा वृक्षारोपण किया गया।

वृक्षारोपण के दौरान तालाब में दालचीनी, हरड, अमलतास जैसे सुंदर वृक्ष लगाए गए। इसके साथ ही डॉक्टर मधु थपलियाल ने बताया कि वे तथा उनके कई साथियों द्वारा लंबे समय से गौरा देवी जैव विविधता तालाब को बचाने की मुहिम जारी है। उन्होंने एम०डी०डी०ए० की सराहना करते हुए बताया आज से 3-4 साल पहले जनांदोलन के चलते वे प्रकृति की आवाज को लेकर एम०डी०डी०ए० गए थे.

एम०डी०डी०ए० ने जन भावनाओं का आदर करते हुए एक सराहनीय कदम उठाया और अतिक्रमण को रोकने के लिए तालाब के चारों तरफ दीवार बनाई। इस कदम से एक सुंदर तालाब – जो जीवन दायक है व कार्बन का कई बड़ा प्रतिशत अपने में अवशोषित करता है – समाप्त होने से बचाया जा सका. लेकिन अब आवश्यकता है इस तालाब को सँवारने की.
उन्होंने बताया कि अब भी गौर देवी जैव विविधता तालाब को प्राकृतिक रूप से संजोए रखने संरक्षित करने के लिए, वे तथा कई अन्य पर्यावरण प्रेमी तथा आम आदमी यहां पर वृक्षारोपण करते है।

डा. मधु थपलियाल ने बताया कि आज आवश्यकता सिर्फ यही नहीं है कि वृक्षारोपण विश्व पर्यावरण दिवस या वन संरक्षण दिवस या जल संरक्षण दिवस के दिन ही करें, बल्कि यह भी जानना आवश्यक है कि हम किस तरह की इकोलॉजिकल कंडीशन में किस प्रजाती के पौध रोपण करें। एक स्थान पर एक ही तरह के पौधों को प्लांटेशन करने से भी वहां के पर्यावरण की शुद्धता नहीं रह जाता तथा वहां के पर्यावरण पर दूरगामी दुष्प्रभाव भी पड सकते हैं।

उन्होंने ने यह भी बताया कि आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वे सिर्फ देहरादून के ऐसे जलाशयों तथा प्राकृतिक श्रोतों में ही वृक्षारोपण नहीं करेंगे बल्कि, पहाड़ों पर जाकर जहां हमारे बांझ के जंगल खत्म हो रहे हैं – जिसके कारण हमारे प्राकृतिक स्रोत खत्म हो रहे हैं – उन ऊंचाइयों पर भी जाकर बांझ और बुरांस का वृक्षारोपण करने जा रहे हैं।

डा. मधु थपलियाल ने बताया कि 1972 में स्वीडन में विश्व पर्यावरण दिवस की पहली मीटिंग हुई थी और तब से ही विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाना जा रहा है। नासा ने सन 1880 से तापमान की आंकड़े रखे हैं तथा प्रत्येक दशक में 0.13 डिग्री सैल्सिस तापमान बढता जा रहा है जिससे ग्लोबल वार्मिग होती जा रही है। वर्तमान में पृथ्वी का औसत तापमान 13.9 – 14.0 डिग्री सेल्सियस रहा है और आने वाले 50 सालों में वैश्विक स्तर पर 3 डिग्री सैल्सिस तापमान ओर बढेगा जो कि भयावह है। आज अगर देखें तो हम इस जद्दोजहद में लगे हैं कि किसी भी तरीके से धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस की व्रर्धि ना करे अगर यह भयावह स्थिति आएगी तो आदमी एक अंगारे की तरह भुनता हुआ हमें अपनी आंखों के सामने दिखाई देगा।

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