
*सुदूरवर्ती अस्पतालों में पहुंचे डॉक्टर, आम लोगों को मिला उपचार*
*2182 पंचायतें हुई टीबी मुक्त, चार धाम यात्रियों का भी रखा ख्याल*
उत्तराखंड का गठन जिन उद्देश्यों को लेकर हुआ था, उसके मूल में जनसुलभ एवं गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार भी शामिल था। विगत 25 वर्षों में राज्य सरकार ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं का जाल प्रदेश के कोने-कोने तक फैला। राज्य सरकार ने सुदूरवर्ती एवं दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सकों की नियुक्ति कर आम जनता को स्थानीय स्तर पर उपचार मुहैया कराया।
राज्य में चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता सुधारने तथा चिकित्सा इकाईयों में एकरूपता स्थापित करने के लिये आईपीएचएस मानकों को लागू किया गया। उक्त मानकानुसार वर्तमान में 13 जिला चिकित्सालय, 21 उप जिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 525 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र टाईप-ए, 52 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र टाईप-बी, 25 अन्य चिकित्सा इकाईयां तथा 1998 मातृ शिशु कल्याण केन्द्र (उपकेन्द्र) स्थापित हैं। जहां पर आम जनमानस को सुलभ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अतिरिक्त 06 उप जिला चिकित्सालय, 06 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 09 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के उच्चीकरण को सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है, जिनके निर्माण एवं संचालन की कार्यवाही गतिमान है। इसके अलावा 100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालय क्रमशः सेलाकुई देहरादून व गेठिया नैनीताल में निर्माणाधीन हैं। देश में पहली बार हेली एम्बुलेंस सेवा का संचालन एम्स ऋषिकेश के सहयोग से किया जा रहा है।
राज्यभर की चिकित्सा इकाईयों में आधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं ताकि मरीजों की सटीक जांच हो सके।
विगत 25 वर्षों में सरकार ने चिकित्सकों की कमी को दूर कर सुदूरवर्ती चिकित्सा इकाईयों में भी चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की। राज्य गठन के समय स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत पीएमएचएस संवर्ग में चिकित्सा अधिकारियों के 1621 पद स्वीकृत थे, सरकार ने 1264 और पदों को स्वीकृत कर प्रदेश के चिकित्सालयों में डॉक्टरों की संख्या में इजाफा किया। वर्तमान में चिकित्सकों के कुल 2885 पद सृजित हैं। लम्बे समय से गायब 56 चिकित्सकों को बर्खास्तगी का रास्ता भी दिखाया।
राज्य सरकार ने 1399 नर्सिंग अधिकारियों की बम्पर भर्ती कर अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत किया। राज्य गठन के दौरान एएनएम के 1933 पद स्वीकृत थे, जिनमें 362 पदों की वृद्धि की गई। वर्तमान में एएनएम के स्वीकृत पदों की संख्या 2295 है। विगत 25 वर्षों में सरकार द्वारा एएनएम के 1918 पदों पर भर्ती की जा चुकी है।
सूबे के स्वास्थ्य क्षेत्र में 108 आपातकालीन सेवा ने नया मोड़ लाया। आपात स्थिति में लोगों को तत्काल एम्बुलेंस उपलब्ध होने से यह सेवा आम लोगों के लिये संकटमोचक साबित हुई।
राज्य के जनमानस को कार्डियक सुविधा उपलब्ध कराने के लिये जिला चिकित्सालय कोरोनेशन देहरादून में कार्डियक केयर यूनिट का संचालन किया जा रहा है। जहां पर मार्च 2022 से अगस्त 2025 तक कुल 61125 रोगियों को कार्डियक सुविधा प्रदान की गई।
प्रदेश के वीपीएल श्रेणी के परिवार के लोगों को राज्य व्याधि सहायता निधि समिति द्वारा 11 घातक बीमारियों के उपचार के लिये आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
प्रत्येक वर्ष चार धाम व कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध की जाती है। चारों धामों व यात्रा मार्गों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों सहित चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टॉफ की तैनाती की जाती है।