कागजों में “सुपर फाइन” यातायात प्रबंधन धरातल पर “सुपर फ्लॉप”

यातायात का बिगड़ा स्वरूप, तिल तिल सरकते हैं अब वाहन
चालान काटने से सुधरते हालात तो देहरादून हरिद्वार होते सबसे व्यवस्थित नगर

Dehradun: पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों की भौगोलिक विषमताओं से जुड़े देवभूमि उत्तराखंड में एक तरफ तो सड़क परिवहन विकास की बातें की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ पूरे प्रदेश में नगरिया परिवहन व्यवस्था का ढांचा बुरी तरह से बिगड़ा हुआ है। यातायात संचालन के नाम पर केवल व्यवस्थाएं और पुलिस की मनमानी है जिसमें आम लोगों को ट्रैफिक सुधार के नाम पर प्रताड़ित करने के साथ-साथ उनकी जेब खाली की जा रही है।

दून में हालात सबसे खराब
सबसे बुरे हाल राजधानी देहरादून के हैं जहां ट्रैफिक संचालन ताश के पत्तों की तरह बिखरा हुआ है। भारी-भरकम पुलिस फोर्स आज भी वाहन चालकों को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने में दक्ष नहीं हो पाया है जिसके परिणाम स्वरूप पूरे दिन भर नगर में वाहन तिल-तिल कर आगे बढ़ते हैं। पीक आवर में तो हालात ऐसे हो जाते हैं कि 100 मीटर का दायरा तय करने में भी पसीने छूट जाते हैं। सरकार और जिला प्रशासन यातायात संचालन के नाम पर जो कुछ भी वाहन चालकों के साथ कर रही है वह किसी भी दशा में सकारात्मक प्रयास नहीं है।

पार्किंग के नाम पर वाहन चालकों का शोषण
अधिकांश स्थानों पर पार्किंग की व्यवस्था नहीं है लेकिन पार्किंग के नाम पर चालान वसूले जा रहे हैं। होना तो यह चाहिए कि सरकार राज्य के सभी महत्वपूर्ण नगरों में उचित पार्किंग की व्यवस्था करें और यदि ऐसा करने में अक्षम है तो कम से कम सड़कों के किनारे पार्किंग की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी पुलिस को दें, यह नहीं कि यातायात सुधार में तो प्रयास ना हो और वाहन चालकों को अनावश्यक तरीके से प्रताड़ित करते रहे। ना केवल राजधानी देहरादून बल्कि पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक महत्व रखने वाले हरिद्वार एवं नैनीताल में भी यातायात प्रबंधन का हाल बेहद बुरा है।

अव्यवस्थित यातायात प्रबंधन दुर्घटनाओं का कारण
अव्यवस्थित यातायात प्रबंधन के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है जिसकी एक बानगी राजधानी में भी देखने को मिली जहां गत महीने अनियंत्रित ट्रक ने कई वाहनों को रोकते हुए कुछ लोगों को घायल किया व एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया। जब तक यातायात प्रबंधन को लेकर बातों से अधिक धरातल पर काम करने का प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक यह हालात सुधरने वाले नहीं हैं।

सड़कों की संरचना एवं गुणवत्ता सुधारने की जरूरत
सड़कों का ढांचा भी कोई बहुत राहत देने वाला नहीं है जो सुचारू यातायात प्रबंधन में सहायक सिद्ध हो। सड़कों के चौड़ीकरण की दिशा में अभी बहुत कार्य करने हैं जबकि यातायात एवं थाना पुलिस को अपराधियों के साथ-साथ यातायात प्रबंधन का सुदृढ़ ज्ञान देना भी आवश्यक है। यदि चालान काटने से यातायात प्रबंधन की व्यवस्था सुधरनी होती तो शायद देहरादून और हरिद्वार अब तक यातायात संचालन की दृष्टि से सबसे बेहतर जनपद होते, लेकिन सच्चाई यह है कि यातायात संचालन की सबसे बुरी स्थिति इन्हीं दोनों जनपदों में है।

kuponbet
Kuponbet
betpark
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
betpark
grandpashabet
restbet
betebet
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
betnano
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
vaycasino
grandpashabet
grandpashabet
restbet
grandpashabet
grandpashabet
restbet
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
betpark
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
betpas
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
betpark
restbet
vaycasino
vaycasino
vaycasino
vaycasino