EXCLUSIVE: तीसरी लहर से पूर्व अब “डेल्टा प्लस” का खतरा

दूसरी लहर के बीच “डेल्टा प्लस” वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग सबसे कारगर हथियार

DEHRADUN: कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर का खतरा सर पर खड़ा हुआ है है। हालांकि एक दलील यह भी दी जा रही है कि यदि दूसरी लहर के इस दौर में पर्याप्त सावधानियां बरती जाएं तो तीसरी लहर के खतरे से काफी हद तक बचा जा सकता है।
इधर कोरोना से लड़ रहे लोगों को एक और खतरा डराने लगा है, और वह है कोरोना का एक और नया वेरिएंट जिसे डेल्टा प्लस या ‘एवाई.1’ नाम दिया गया है.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन में नया म्यूटेशन है जो मार्च के महीने में यूरोप में देखा गया.
वर्तमान में डाटा प्लस विश्व के लगभग 53 देशों में अपना असर दिखा रहा है और इसके 6 मरीज भारत में भी पाए गए हैं। डेल्टा प्लस कोरोनावायरस को लेकर चिकित्सा वैज्ञानिक इसलिए भी अधिक चिंतित है क्योंकि यह वर्तमान वैरीअंट की अपेक्षा 60% अधिक तेजी से खुद को फैलाता है। Delta plus का यह वैरीअंट हमारे शरीर की एंटीबॉडी क्षमता को मात देने में कारगर साबित हुआ है, लेकिन एक राहत की बात यह है कि जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों दोस्त लग चुकी है उन पर यह केवल 30% पक्का ही असर दिखा सकता है। किसके असर के बावजूद दोनों DOSE की VACCINE लेने वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती होने से बचाया जा सकता है।
फिलहाल पूरा देश कोरोना की तीसरी लहर को खुद पर हावी होने से रोकने की तैयारी कर रहा है और इन परिस्थितियों में कोरोना वायरस डेल्टा प्लस खतरे का एक नया संकेत है। लगातार नए वेरिएंट डिवेलप होने के बावजूद “डेल्टा प्लस” से बचने के लिए अभी भी कोरोना से लड़ने का सबसे सशक्त माध्यम मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग को ही माना गया है लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि तीसरी लहर की संभावनाओं से पूर्व जल्द से जल्द देश में टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा किया जाए।
देश में जिस प्रकार से कोरोना संक्रमण के घटते मामलों को देखने के बाद धीर-धीरे सार्वजनिक व्यवस्थाओं में ढील दी जा रही है वह भी संक्रमण के फैलाव का कारण बन सकता है। यह बेहद जरूरी है कि सार्वजनिक जीवन में जाने के बाद पूरी गंभीरता के साथ मास्क पहनने के नियम एवं सोशल डिस्टेंसिंग के सिद्धांत को अमल में लाया जाए।
चिकित्सा वैज्ञानिक स्पष्ट कर चुके हैं कि डेल्टा प्लस एक खतरनाक वैरीअंट है जो हमारे शरीर की एंटीबॉडी प्रणाली को चकमा देने में कामयाब है और अन्य वेरिएंट की अपेक्षा 60% अधिक तेजी से संक्रमण फैलाता है।

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