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सरकार के फैसले को नहीं था वैज्ञानिकों का समर्थन
13 मई से बढ़ाया गया था दो डोज के बीच का अंतर
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New Delhi: कोरोना को हराने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई वैक्सीन को लेकर विवाद है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। भारत के तीन वैज्ञानिकों ने वैक्सीनेशन के बीच बीच बढ़ाए गए अंतर में अपनी सहमति से इनकार किया है और कहा है कि इस फैसले को वैज्ञानिकों का समर्थन नहीं था।
बता दें कि कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान के तहत को -वैक्सीन या कवीशील्ड की पहली डोज लगाए जाने के बाद 28 दिन का समय पहले निर्धारित किया गया था, लेकिन बाद में सरकार की ओर से इसके अंतर में बढ़ोतरी कर दी गई जो अब 12 से 16 हफ्ते तक की कर दी गई है।
सीधे तौर पर कहा जाए तो दूसरी डोस पहली डोज लगाने के लगभग 82 दिन बाद ही लगाई जा सकेगी। माना जा रहा है इस फैसले के पीछे वैक्सीनेशन की कमी एवं लोगों की बढ़ती मांग मुख्य कारण थी। इधर भारत के तीन वैज्ञानिकों ने एक समाचार एजेंसी को बताया है कि दो व्यक्तियों के बीच अंतर बढ़ाए जाने का फैसला उनका नहीं था और केंद्र सरकार ने 13 मई से जो नई व्यवस्था चालू की थी उसको वैज्ञानिकों का समर्थन नहीं था।
उस वक्त कहा गया था कि यह फैसला राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) एवं वैज्ञानिको के समूह की सहमति से किया गया था, हालांकि वैज्ञानिकों ने अब इस फैसले से असहमत होना बताया है।
उधर वैक्सीन को लेकर ऐसे विवादों के बीच दो प्रमुख वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंडिया (Serum India- SII) और भारत बायोटेक (Bharat Biotech)ने कोविड 19 वैक्सीन की कीमतों को बढ़ाने की मांग की है।