कहीं बाजी ही ना पलट दे “मुफ्त” की राजनीति – Bhilangana Express

कहीं बाजी ही ना पलट दे “मुफ्त” की राजनीति

भाजपा का इंकार कहा बिना कटौती आपूर्ति है प्राथमिकता
अरविंद केजरीवाल के बयान से भाजपा में हलचल

Dehradun: उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का हरक सिंह रावत का वादा भाजपा आलाकमान को रास नहीं आया है। वही अंदरखाने उनके इस बयान को लेकर नाराजगी बढ़ने के बाद ऊर्जा मंत्री ने ऐसे किसी वादे से इनकार किया है और कहा कि केवल विभाग को प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया है और यदि सरकार को प्रस्ताव पसंद आता है तो आगे कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी मुफ्त विद्युत देने की बात नहीं की है लेकिन इतना जरूर उनकी प्राथमिकता में है कि प्रदेश को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति मिलती रहे।
माना जा रहा है कि निशुल्क बिजली के फेर में प्रदेश की जनता कहीं ना कहीं प्रभावित हो सकती है और इसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 100 यूनिट की बजाए तीन गुनी यानी कि 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर भाजपा के चेहरे पर चिंता की लकीरे पैदा कर दी है। असल में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में ना केवल मुफ्त बिजली और पानी देने की घोषणा की बल्कि उसे साकार करके भी दिखाया। माना जा रहा है कि यदि उत्तराखंड की जनता केजरीवाल के प्रलोभन में आ गई तो भाजपा के मिशन 2022 को झटका लग सकता है।
ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के निशुल्क बिजली के बयान को लेकर सरकार का और कोई भी नुमाइंदा बयान देने को तैयार नहीं है जबकि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ऐसे किसी भी योजना से वर्तमान या भविष्य में लागू करने को नकार दिया है। हालांकि मुख्यमंत्री ने भी या जरूर कहा कि उनकी प्राथमिकता प्रदेश को लोगों को 24 घंटे बिना कटौती के विद्युत उपलब्ध कराना है।
हरक सिंह रावत द्वारा निशुल्क बिजली देने की बात कहने के बाद अब यही बयान पार्टी के लिए एक मुसीबत बन गया है। आज केजरीवाल 300 यूनिट की बात कर रहे हैं तो हो सकता है कल ठीक चुनावों के समय कांग्रेस इससे भी कहीं आगे चली जाए।
इतना तो तय है कि मुफ्त की राजनीति की जो चिंगारी उत्तराखंड में भड़की है वह आने वाले चुनाव में कहीं ना कहीं ज्वाला का रूप लेने वाली है। जनता भी आप नेताओं के बयानों का लुफ्त उठा रही है और कहीं ना कहीं अब जनता के मन में यह बात घर कर गई है कि यदि दिल्ली में निशुल्क बिजली मिल सकती है तो बिजली उत्पादन करने वाले प्रदेश उत्तराखंड में उन्हें यह सुविधा सरकार क्यों नहीं उपलब्ध करा रही है?