विकास के नाम पर दून के विनाश का खाका तैयार

11 हजार पेड़ों की बलि पर सड़कों का चौड़ीकरण
सरकार को चेतावनी, हरियाली नहीं तो वोट भी नहीं

सड़कों को चमकाने के लिए राज्य सरकार ने हजारो पेड़ों की बलि देने का मन बना लिया है, हालांकि जागरूक लोग सरकार को इस कदम के नुकसान बताने से भी पीछे नहीं हैं और अब आंदोलन को तैयार हैं।
वहीं दून की जनता ने यह भी ऐलान कर दिया है कि यदि पेड़ों का विनाश हुआ तो ऐसी योजनाएं बनाने वालों को उनके वोट से भी वंचित रहना होगा।
असल में देहरादून के जोगीवाला से सहस्त्रधारा चौराहे तक रिंग रोड के विस्तारीकरण के और मोहंड से आशारोड़ी तक प्रस्तावित एलीवेटेड रोड प्रोजेक्ट में हजारों पेड़ काटे जाने की तैयारी की जा रही है। पर्यावरण प्रेमियों एवं दून के जागरूक लोगो को सरकार की यह योजना स्वीकार्य नहीं है और इस प्रोजेक्ट के विरोध में तमाम संगठन उतर गए हैं। इस क्रम में अब संगठनों ने हरियाली नहीं तो वोट नहीं आंदोलन का एलान कर दिया है।
बताया जा रहा है कि मोहंड से आशारोड़ी तक प्रस्तावित एलीवेटेड रोड में 11 हजार से अधिक पेड़ों के काटे जाने की बात सामने आ रही है। विरोध के लिए कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है जिसके तहत आंदोलन के पहले चरण में पर्यावरणविद व सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता डाटकाली मंदिर के पास टनल से पहले धरना प्रदर्शन करेंगे।
कैसी विडंबना है कि एक तरफ तो पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरह सरकार ऐसे प्रोजैक्ट को कैसे मंजूरी दे रही है जो कि पर्यावरण के विनाश से जुड़ा हुआ है?
निश्चित तौर पर इस प्रकार की योजनाओं को स्वीकार करने से पूर्व योजना बनाने वालों को पृथ्वी पर रहने वाले जीव- जंतुओं के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी सोचना चाहिए। ऐसा विकास जो विनाश की ओर ले जाता हो, उसका विरोध करने के लिए हमेशा से ही क्रांतिकारी सोच सड़कों पर उतरती आई है और देहरादून के लोगों में भी यह जागरूकता एक आंदोलन के रूप मंे दिखाई देनी लगी है।

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