बिना रोक-टोक अब हो सकेंगे चार धाम के दर्शन – Bhilangana Express

बिना रोक-टोक अब हो सकेंगे चार धाम के दर्शन

यात्रियों की सीमित संख्या से स्थानीय कारोबारियों को हो रहा था नुकसान
यात्रा में अब 40 दिन शेष, आदेशों के बाद रौनक लौटने की उम्मीद

NAINITAL: चार धाम यात्रा को लेकर यात्रियों को होने वाली परेशानी कब समाप्त होने जा रही है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहां है कि यात्रियों किसी भी संख्या का नियम अब हटा दिया जाए और सभी श्रद्धालुओं को दर्शन करने दिए जाएं। बता दें कि राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों में चारधाम यात्रा करने के लिए प्रत्येक दिन केदारनाथ धाम में 800, बद्रीनाथ धाम में 1000, गंगोत्रि में 600, यमनोत्री धाम में कुल 400 श्रद्धालुओ को जाने की अनुमति दी गई थी जिसमें अदालत के आदेश के बाद कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
उत्तराखंड हाइकोर्ट ने चारों धाम में प्रतिबंध के साथ यात्रियों की निर्धारित से अधिक को जाने व दर्शन करने पर लगी रोक को हटा दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद अब श्रद्धालु बेरोकटोक चारधाम दर्शन के लिए जा सकेंगे।
अदालत का कहना था कि शासन को कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित कराना होगा। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि चारधाम यात्रा करने के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी, लेकिन वर्तमान समय मे प्रदेश में कोविड के केस ना के बराबर आ रहे हैं, इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाए।
महाअधिवक्ता द्वारा कोर्ट के सम्मुख यह भी कहा कि यात्रा समाप्त होने में 40 दिन से कम का समय बचा हुआ है, अतः अब यात्रियों की सीमित संख्या का फार्मूला वापस ले लेना चाहिए। यह भी देखा गया है कि ऑनलाइन दर्शनों का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी यात्री नहीं आ रहे हैं और उनके स्थान पर अन्य यात्रियों को भी जाने नहीं दिया जा रहा है। यह व्यवस्था स्थानीय लोगों के कारोबार पर भी व्यापक असर डाल रही थी।
इस संबंध में सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या पर से रोक हटाई जाय या फिर श्रद्धालुओं की संख्या तीन से चार हजार प्रतिदिन किया जाय। जिसके बाद कोर्ट ने उक्‍त फैसला सुनाया।