अतीत बताता है पार्टी बदलने वाले उठाते आए हैं सत्ता का सुख
कुछ खास चेहरों को लेकर भाजपा के लिए चुनौती का दौर
LALIT UNIYAL
Dehradun.चुनाव आने के साथ ही नेताओं का दल बदलने का क्रम शुरू हो जाता है, लेकिन यह काफी हैरानी भरी बात है कि कांग्रेस के जिन नेताओं ने जब भी पाले बदले हैं वह सरकार में शामिल हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव की ही बात करें तो कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक विधायकों ने भाजपा का दामन थामा था और भाजपा सत्तासीन हुई थी। दूरदर्शिता कहें या फिर वक्त की चाल इन नेताओं ने लगातार 10 वर्ष सत्ता का सुख उठाया और अब एक बार फिर इधर से उधर का दौर शुरू हो गया है, बल्कि राजनीतिक हलचल आने वाले चुनावों को निश्चित तौर पर बेहद रोमांचक बनाने वाली है।
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेसी एवं निर्दलीय कुछ विधायकों को अपने खेमे में कर कांग्रेस को झटका देने की कोशिश तो की लेकिन भाजपा को उम्मीद नहीं थी कि जो झटका उसे लगने वाला है वह उसे अंदर तक हिला देगा। कभी कांग्रेस के खेवनहार रहे यशपाल आर्य ने पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा का दामन थामा था और अब एक बार फिर चुनाव आने से ऐन पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेसका पुनः दामन थाम लिया है। यशपाल आर्य के कांग्रेस में जाने के बाद एकाएक हलचल तेज हो गई और इस प्रकार की भी संभावना और बातें उठने लगी कि पूर्व में कांग्रेस के भागी बने भाजपा में शामिल हुए कुछ नेता अब वापस कांग्रेस में जा सकते हैं।
तो क्या अब इसे इस तरह समझें कि उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन के आसान नजर आने लगे हैं? कुछ नेताओं का रिकॉर्ड है कि वह दल बदल कर जब भी दूसरे दलों में गए तो उन्होंने सत्ता सुख उठाया। पूर्वालोकन करें तो पुनः वही परिस्थितियां नजर आ रही है और अंदर खाने चर्चा उठ रही है कि कांग्रेस के पुराने बागी एक बार फिर खुद को कांग्रेस का अनुशासित सिपाही बता कर पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। यशपाल आर्य के कांग्रेस में जाने से यह कयास बाजी भी अब शुरू हो गई है कि उत्तराखंड में क्या वही परंपरागत तरीके से हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन की कहानी दोहराई जाने वाली है।
चर्चाएं है कि भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के पुराने नेताओं के दोबारा कांग्रेस में जाने की भी पूरे प्रदेश में बातें चल रही है और हैरानी नहीं होनी चाहिए यदि दो-चार और बड़े चेहरे कुछ और दिनों में कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं तो।
बहराल भारतीय जनता पार्टी के लिए आज का दिन एक बड़े झटके वाला रहा, लेकिन चुनाव आने से पहले भारतीय जनता पार्टी कितनी आसानी से चुप बैठेगी यह संभव नहीं है। हालांकि भाजपा के आगे इस समय सबसे बड़ी चुनौती अपने उन विधायकों और मंत्रियों को रोकने की है जो उसके पुराने सदस्य नहीं रहे हैं और मौका देखकर पाला बदलने में कभी देरी नहीं करते।