बेमौसम की आपदा मचा गई उत्तराखंड में कहर – Bhilangana Express

बेमौसम की आपदा मचा गई उत्तराखंड में कहर

देवदूत बनकर जान बचाने आए आपदा तंत्र के कर्मचारी
खुद मैदान में उतरे हैं मुख्यमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री भी पहुंच रहे हैं उत्तराखंड

मानसून समाप्त होने के बाद उत्तराखंड में हुई मूसलाधार बारिश ने आपदा जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। इस प्रकार की बारिश के लिए उत्तराखंड बिल्कुल तैयार नहीं था और उम्मीद भी नहीं की गई थी कि अक्टूबर के मध्यांतर में इस प्रकार की बारिश कहर मचा देगी। हालांकि मौसम विभाग द्वारा पहले ही बारिश की चेतावनी जारी कर लोगों को सचेत कर दिया गया था लेकिन इसके बावजूद भी भयंकर बारिश के कारण 45 से अधिक लोगों की जान चली गई और लगभग एक दर्जन लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। जल प्रलय के कारण हुई आर्थिक हानि का तो कोई अभी अंदाजा ही नहीं है। कई सड़कें पुल और यहां तक की रेलवे लाइन ए तक मिट्टी में मिल चुकी हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री इस आपदा के बाद खुद मैदान में उतरे हैं और सरकारी मशीनरी को लोगों को सहायता पहुंचाने के लिए निर्देशित कर रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह उत्तराखंड पहुंच रहे हैं । राज्य में रविवार रात से जारी वर्षा जनित आपदा से अब तक कम से कम 46 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 11 अन्य लापता हैं।
अथक प्रयासों के बाद क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को सुचारू रूप से यात्रा के योग्य बनाने का कार्य किया जा रहा है तथा बद्रीनाथ को छोड़कर अन्य तीनों दामों में यात्रा की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। बिजली आपूर्ति सेवा को बहाल करने की कोशिश की जा रही है।
यह निश्चित तौर पर सराहना करनी होगी राहत कर्मियों की जिन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अपनी जान की परवाह ना करते हुए हजारों लोगों को सुरक्षित बचाया है। इसमें एनडीआरएफ एसडीआरएफ स्थानीय पुलिस एवं वॉलिंटियर्स की भूमिका उल्लेखनीय है।

हालातों को देखते हुए उधम सिंह नगर में छह, उत्तरकाशी और चमोली में दो-दो तथा देहरादून, चम्पावत, पिथौरागढ़ और हरिद्वार में एक-एक टीम को तैनात किया गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को कुमाऊं के बारिश प्रभावित इलाकों का दौरा किया और अधिकारियों को नुकसान का आंकलन करने के निर्देश दिए। हालांकि अब हालात थोड़े से सामान्य होते नजर आ रहे हैं लेकिन 17 अक्टूबर से 3 दिन तक हुई बारिश ने काफी कहर मचाया जिसके कारण पर्यटकों को भी होटलों में कैद होने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उधर रेलवे ने भी क्षतिग्रस्त पार्टियों को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया है। बाधित हुई रेल सेवाओं को शुरू होने में अभी लगभग 4 से 5 दिन और लग सकते हैं।

वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर स्थानीय प्रशासन ने नैनीताल से जुड़ने वाले हल्द्वानी और कालाडूंगी मार्ग को आंशिक रूप से यातायात के लिए खोल दिया है। इन मार्गों से सोमवार को पूरी तरह जबकि मंगलवार को आंशिक तौर पर संपर्क टूट गया था। कुछ स्थानों पर भूस्खलन की आशंका के चलते नैनीताल-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग पर केवल हल्के वाहनों की आवाजाही बहाल की गई है।