महंगाई व बेरोजगारी पर नाराज दिखे उत्तराखंड के वोटर – Bhilangana Express

महंगाई व बेरोजगारी पर नाराज दिखे उत्तराखंड के वोटर

मतदाताओं ने महंगाई के मुद्दे को सर्वोपरि रखा तो बेरोजगारी पर भी सरकार से नाराज
आसान नहीं भाजपा-कांग्रेस के लिए बहुमत के आंकड़े पर सरकार बनाना

भाजपा को विश्वास विकास के मुद्दे पर जनता ने दिया वोट

Dehradun: उत्तराखंड विधानसभा 2022 चुनाव प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला बंद हो चुका है। कुछ स्थानों पर अभी भी लंबी कतारें लगी हुई है और इसे संपन्न कराने में 7 से 8 तक का भी समय लगने की उम्मीद है। फिलहाल उत्तराखंड में कुल प्रतिशत का आंकड़ा अभी निकला नहीं है लेकिन लगभग सभी जनपदों में 50% से ऊपर का मतदान संपन्न किया जा चुका था।

इस बार निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के लिए सत्ता तक पहुंचना आसान नहीं है। हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “अबकी बार 60 पार” का नारा देकर भाजपा की “मिशन 2022” की मुहिम को आगे बढ़ाया था। शुरुआती दौर में कांग्रेस कमजोर सी नजर आ रही थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पंजाब से उत्तराखंड में आने के बाद जिस प्रकार के तेवर दिखाए उसने कांग्रेस की दिशा ही बदल दी। आज कांग्रेस उत्तराखंड में इस स्थिति में नजर आ रही है की राजनीतिक विश्लेषक भी उत्तराखंड में कांटे की लड़ाई को लेकर सहमत हैं।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्य तौर पर महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा लोगों के दिमाग पर चढ़ा रहा। महंगाई से लोग परेशान दिखे और मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर अधिकांश लोगों ने दूसरे मुद्दों की अपेक्षा महंगाई को सबसे टॉप पर रखा। कांग्रेस ने भी गैस सिलेंडर ₹500 जैसे मुद्दों को उठाकर जनता की नब्ज को टटोलने का प्रयास किया। महंगाई के बाद बेरोजगारी ने भी उत्तराखंड के युवाओं को नाराज किया है और कहीं ना कहीं इसका प्रभाव भाजपा के पक्ष में होने वाली वोटिंग पर भी पड़ता हुआ साफ नजर आया है।

वहीं भाजपा नेता महंगाई व बेरोजगारी से अलग हटकर विकास को लेकर अपने पक्ष में वोट पढ़ना बता रहे हैं। ताल ठोककर भाजपा नेता उत्तराखंड में मत प्रतिशत को अपने पक्ष में बता रहे हैं और उनका है कि मतदाताओं ने प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को स्वीकार किया है जिसका परिणाम 10 मार्च को भाजपा के सत्ता में पहुंचने के परिणाम के तौर पर सामने आएगा।

यह तय है कि भाजपा कहीं ना कहीं “अबकी बार 60 पार” के अपने मिशन को छूने में नाकाम हो सकती है, क्योंकि मुकाबला अब कांटे का नजर आने लगा है तो जीत का अंतर भी अधिकांश सीटों पर अधिक नहीं नजर आएगा। इतना तय है की महंगाई बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों पर भाजपा को जरूर कहीं ना कहीं इन चुनावों में सत्ता की दहलीज तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।