एक 60 तो दूसरा 45 पार, फिर आखिर हारेगा कौन? – Bhilangana Express

एक 60 तो दूसरा 45 पार, फिर आखिर हारेगा कौन?

सरकार बनाने के दावे करने में एक दूसरे को पट पटखनी देने की कोशिश
बहुमत के आंकड़े के आसपास पहुंचने पर भी आसान नहीं सरकार बनाना

Dehradun: उत्तराखंड में अगली सरकार बनाने के दामों में कोई पीछे नहीं रहना चाहता। भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस या फिर पहली बार उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में भाग्य आजमा रहे आम आदमी पार्टी तीनों ही 10 मार्च को अपनी सरकार बनाने का दावा करते नहीं थक रहे हैं।

पहले बात करें भारतीय जनता पार्टी की तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही “अबकी बार 60 बार” के मिशन को लेकर चल रहे हैं। मतदान संपन्न होने के बाद भी विश्वास पर कायम है कि इस बार उनकी सरकार ही रिपीट होने वाली है और वह भी 60 से अधिक विधानसभा सीटें जीतकर। अब इसके पीछे कौन से तर्क और समीकरण लगाकर वह बैठे हैं यह तो वही जानते होंगे लेकिन जो माहौल इस बार मतदान के दौरान दिखाई दिया है उससे यह आंकड़ा आसानी से मिल जाएगा यह कहना बेहद मुश्किल है।

वहीं दूसरी तरफ सरकार बनाने की दिशा में कांग्रेसका अपना दावा है जो 45 सीटें पार करने का है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने दम पर उत्तराखंड में कांग्रेस की लहर बनाने में कामयाब रहे हैं और कह भी चुके हैं कि या तो वह मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर घर बैठेंगे यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हरीश रावत उत्तराखंड में कॉन्ग्रेस को जिंदा करने में कामयाब रहे हैं और भाजपा अब तक जिस लड़ाई को सुगम समझ रही थी उसे उन्होंने पहाड़ जैसा खड़ा कर दिया है।

हालांकि दोनों ही दल बहुमत से कहीं अधिक सीटें प्राप्त करने का दावा कर रही है, तो अब सवाल यह उठता है कि अगर दोनों ही जीत रही है तो फिर हारेगा कौन? फैसला तो जनता कर चुकी है केवल परिणाम आना बाकी है। सरकार तो दोनों में से कोई एक दल बनाएगा लेकिन सिर्फ देखना यह है कि यह सरकार पूर्ण बहुमत के साथ अपने दम पर बनेगी या फिर इसके लिए गुणा भाग का समीकरण भी अपनाना पड़ेगा।

यदि ऐसा होता है तो कहीं ना कहीं 1 से 3 विधानसभा सीट जीतने वाले विधायकों की तो लॉटरी ही खुल जाएगी। सरकार बनाने के 36 के आंकड़े के आसपास पहुंचने पर भाजपा लाभ की स्थिति में नजर आएगी और कांग्रेस को सत्ता में आने के लिए गठजोड़ के बजाय पूर्ण बहुमत से ही अधिक सहारा मिल पाएगा।