एक्सपें्रस वे के निर्माण में जंगलांे पर चलेगी कुल्हाड़ी
बिल्डरांे के बाद अब सरकारी परियोजनाएं बनी मुसीबत
DEHRADUN, अपनी प्राकृतिक सुंदंरता के लिए पहचाना जाने वाला देहरादून धीरे धीरे क्रक्रीट के जंगलो मं तब्दील हो रहा है। मार्च के महिने में गर्मी का पिछला सौ साल का रिकार्ड टूटा है तो समझ लेना चाहिए कि देहरादून को बर्बाद करने में सरकार से लेकर बिल्डरों ने कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। अब नई परियोजना के तहत दिल्ली.देहरादून एक्सप्रेसवे के निर्माण में 11 हजार पेड़ों की बलि चढ़ेगी।
हालांकि इसका विरोध भी शुरू हो चुका है, लेकिन इससे पहले भी ऐसी योजनाओं को फलीभूत करने के लिए पेड़ काटे गए हैं, और विरोध प्रदर्शन नाकामयाब साबित हुए। देहरादून मोहंड मार्ग पर चारधाम परियोजना के लिए लगातार कट रहे जंगलों को बचाने की विभिन्न संगठन कोशिशंे कर रहे हैं, लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट या फिर राजमार्ग मंत्रालय इस दिशा में कोई निर्णय लेंगे इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। संगठनों ने आज आशारोड़ी में प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया और कहा कि मात्र चंद घंटे दिल्ली से देहरादून के लिए घटने के लिए 11 हजार पेड़ांे को बलिदान नहीं किया जा सकता।
प्रदर्शनकारिया ने पेड़ों के ट्रांसप्लांट को अव्यवहारिक बताया और कहा कि सड़क कटान के लिए जब जंगल काटा जाता है तो वहां घासए झाड़ियांए झरनेए पानी के स्रोतए जीव जंतुए पेड़ पौधे सब समाप्त हो जाते हैं और पूरा इको सिस्टम तबाह हो जाता है।