Dehradun: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने विधानसभा में यूसीसी बिल पास होने के साथ ही समान नागरिक संहिता लागू करने में देश का पहला राज्य बनने का गौरव प्राप्त कर लिया है।
उत्तराखंड विधानसभा में आज विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया गया। विधेयक के पारित होने के दौरान सदन में ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ के जमकर नारे लगे।
उत्तराखंड विधानसभा में विधायक पास होने के बाद अब अन्य सभी विधिक प्रक्रिया और औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी जिसके बाद उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। विधेयक अब राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिसके बाद ही यह कानून बनेगा।
यह है खास बातें
विधेयक में प्रदेश में रहने वाले सभी धर्म-समुदायों के नागरिकों के लिए विवाह, संपत्ति, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक समान कानून का प्रावधान है। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को इस विधेयक की परिधि से बाहर रखा गया है।
यूसीसी विधेयक में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को संरक्षित करते हुए बाल विवाह, बहु विवाह, हलाला, इद्दत जैसी सामाजिक कुप्रथाओं पर रोक लगाने का प्रावधान है।
विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है और ऐसा नहीं करने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित करने का प्रावधान है।
पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरे विवाह को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है जबकि सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गयी है।
वैवाहिक दंपत्ति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की अभिरक्षा उसकी माता के पास ही रहेगी। सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार होगा।
बेटा और बेटी का संपत्ति में समान अधिकार होगा। संपत्ति में अधिकार के लिए वैवाहिक और लिव-इन से पैदा बच्चों में भेदभाव को समाप्त करते हुए हर बच्चे को ‘वैध’ बच्चा माना जाएगा।
लिव-इन का पंजीकरण भी अनिवार्य होगा।