आर्थिक पटरी पर लौटने की दौड़ में तार-तार नियम -कानून
हवा हवाई हुई सोशल डिस्टेंसिंग, पुलिस ने भी आंखें मोड़ी
DEHRADUN: उत्तराखंड की राजधानी के तौर पर पहचाने जाने वाले इस शहर के हालात देखकर लगता नहीं कि यहां कभी कोरोना वायरस का भयंकर प्रकोप रहा होगा या यहां किसी को कोरोना का कोई डर भी है। बाजार खोलने की छूट के साथ ही पूरे शहर में जाम जैसी स्थिति है तो दुकानों में सामुदायिक दूरी का सिद्धांत एक उपहास बनकर कर रह गया है। जिला प्रशासन और जिला पुलिस को शहर की इस स्थिति से कुछ लेना देना नहीं है, चौराहों पर खानापूर्ति की ड्यूटी नजर आ रही है।
कोरोना से लड़ते देश को आर्थिक प्रगति पर लौटने की प्रतीक्षा है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि रोजी रोटी कमाने के लिए बाजार का खोलना जरूरी है लेकिन बाजार खुलने के साथ ही जो मंजर सामने आया है वह काफी डरा देने वाला है। संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सबसे मजबूत शास्त्र सामुदायिक दूरी को ही माना गया है और बाजार खुलने के साथ सबसे अधिक लापरवाही यही देखने को मिल रही है।
यानी कि ठीक वही स्थिति नजर आ रही है जो CORONA की पहली लहर के बाद UNLOCK शुरू करने पर नजर आई थी। ठीक उसी प्रकार की लापरवाही या फिर की जा रही हैं। अनलॉक की व्यवस्था के तहत प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व बनता हैै कि वह उन सभी नियमोंं का पालन करें जो संक्रमण को ना केवल फैलने से रोके बल्कि कोरोना के संपूर्ण खात्मे के लिए सहायक सिद्धध हो।