योद्धाओं जैसा हौसला है उत्तराखंड की रग-रग में – Bhilangana Express

योद्धाओं जैसा हौसला है उत्तराखंड की रग-रग में

च्छाएं तो मारी, लेकिन कोरोना से हार नहीं
नियमों में रहकर वायरस को दी पटखनी

lalit Uniyal
Dehradun: कोई भी सरकारी योजना और नियम कानून तब तक सफलता के अंजाम तक नहीं पहुंच सकते जब तक उसका पालन करने वाले लोग स्वयं अपने दायित्व के प्रति गंभीर ना हो। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए इस बार उत्तराखंड के लोगों ने जिस प्रकार की इच्छाशक्ति दिखाई वह जंग में लड़ने वाले किसी योद्धाओं के आचरण से कम नहीं है। देवभूमि में लोग अभाव में रहे, इच्छाएं मारी लेकिन दुख सहने के बाद भी कोरोना से हार नहीं मानी।
केदारनाथ आपदा हो या फिर चमोली में ग्लेशियर टूटने जैसा कहर या फिर आए दिन पहाड़ी क्षेत्रों में अपना तांडव दिखाने वाली प्राकृतिक आपदाएं! उत्तराखंड के लोगों ने मानो इन सब परेशानियों को अपने जीवन का हिस्सा ही बना लिया है। वक्त कदम-कदम पर उत्तराखंड की परीक्षा लेता है, लेकिन देवभूमि की मिट्टी उत्तराखंड के लोगों को हर बार एक नई ऊर्जा के साथ जीवन जीने की शक्ति भी भर देती है।

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देश से आई एक बीमारी ने कोहराम तो बहुत मचाया, लेकिन उससे लड़ने का संकल्प भी उतराखंड ने बखूबी निभाया। निश्चित तौर पर हम एक ऐसे कल की ओर बढ़ रहे हैं जो खुद में अपार संभावनाएं लिए हुए हैं। बस वर्तमान समय थोड़ी सी और सजगता वह जागरूकता दिखाने का है। अभी यदि हम सब कुछ नियंत्रण में मानकर बेपरवाह हो गए तो हम उन पुलिसकर्मियों, चिकित्सकों,स्वयं सेवकों, पत्रकारों एवं गुमनाम कोरोना योद्धाओं के साथ न्याय नहीं करेंगे, जिन्होंने समाज को सुरक्षित रखने के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की। कोरोना संक्रमण को लेकर उत्तराखंड में जिस प्रकार से मामले कम होते दिख रहे हैं वह राहत की बात है। पिछले 10 दिनों में लगातार नए संक्रमित केस कम हुए हैं तो मौतों का आंकड़ा भी काफी नीचे आने लगा है। इससे भी बड़ी राहत की बात संक्रमित लोगों का ठीक होना है जो सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के लिए एक सराहनीय उपलब्धि है.
फिलहाल हालात सुधर रहे हैं और इसका पूरा श्रेय ना केवल स्वास्थ्य विभाग व राज्य सरकार को जाता है बल्कि देहरादून के उन लोगों की भी सराहना करनी होगी जिन्होंने मौके की नाजुकता को समझते हुए सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए रखी एवं लॉकडाउन व कर्फ्यू के नियमों का पूर्ण तौर पर पालन किया। हालांकि बावजूद इसके कोरोना की दूसरी लहर ने कई घरों के आंगन सूने कर दिए, जिन की कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा।

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