चार धाम यात्रा के आयोजन में त्रिशंकु बनी राज्य सरकार
बार-बार फैसले बदलने से हो रही सरकार की फजीहत
DEHRADUN: चार धाम यात्रा का आयोजन करना सरकार के लिए बहुत भारी पड़ रहा है। सरकार और अदालत के बीच खींचातानी जारी है और एक बार फिर सरकार ने अपने फैसले को वापस ले लिया है। निश्चित तौर पर इस प्रकरण में सरकार की तो किरकिरी हो ही रही है साथ ही ब्यूरोक्रेसी के काम करने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अभी भी या निश्चित नहीं है कि चारधाम यात्रा का आयोजन जा अगली सुनवाई के बाद भी हो पाएगा या नहीं?
उत्तराखंड सरकार ने पहले 15 जून से चार धाम यात्रा को शुरू करने का ऐलान किया था हालांकि अपनी घोषणा के चंद घंटे बाद ही सरकार को अपना फैसला वापस लेना । पड़ा था क्योंकि प्रकरण अदालत में चल रहा था और बिना उसकी सुनवाई के यात्रा शुरू नहीं की जा सकती थी। अदालत सरकार से कोरोना के संबंध में तैयारियों पर रिपोर्ट मांग रही थी जिसे शासन की ओर से कम नहीं कराया गया। इधर एक बार फिर सरकार ने 22 जून से यात्रा शुरू करने का फैसला लिया लेकिन यहां भी अदालत के आगे सरकार की नहीं चली और यात्रा शुरू करने का फैसला स्थगित करना पड़ा।
27 जून को राज्य सरकार ने लॉकडाउन के नए आदेश जारी किए जिसमें 1 जुलाई से चार धाम यात्रा को खोलने की बात कही गई लेकिन यहां जारी किए गए आदेशों को चंद घंटों में पुनः वापस लेना पड़ा और सरकार ने कल देर रात नई सूची जारी करते हुए हाई कोर्ट की सुनवाई का हवाला दिया। चार धाम यात्रा को लेकर सरकार अब बहुत गफलत की स्थिति में नजर आ रही है। बार-बार की हां हां और ना ना मैं सरकार की बुरी तरह से फजीहत भी हो रही है।