आखिर क्यो बचती है पुलिस एफआईआर दर्ज करने से – Bhilangana Express

आखिर क्यो बचती है पुलिस एफआईआर दर्ज करने से

दर्ज होने के बाद कार्रवाई पुलिस की मजबूरी
उत्तराखंड में शिकायतंे कम, कार्रवाई भी त्वरित

अक्सर सुनने में आता है कि किसी मामले में पुलिस ने शिकायतकर्ताआंे को थाने से ही भगा दिया या फिर छोटे-मोटे मामलो की तो शिकायत ही दर्ज नहीं की। इसके पीछे कई कारण है, एक तो पुलिस अपना बोझा नहीं बढाना चाहती तो वहीं दूसरी ओर मामला दर्ज होने के बाद इस पर कार्रवाई करने की पुलिस की जिम्मेदारियां भी बढ जाती है
उत्तराखंड के मामले मंे जरूर परिस्थितियां विपरीत हैं। यहां उच्चाधिकारियां के स्पष्ट आदेशांे के कारण थानेदार अधिकांश मामलांे में एफआईआर दर्ज कर लेते हैं लेकिन कई बार यहां भी ऐसे मामले सुनाई देते है जिनमे ंया तो मामले दर्ज नहीं किएग या फिर धाराओं को कमजोर बना दिया गया।
पुलिस इस लिए एफआईआऱ दर्ज करने से मना करती है ताकि उसे ज्यादा मेहनत न करनी पड़े। fir दर्ज होगी तो उसपे क्या करवाई की गई है यह तो बताना पड़ेगा। केस डायरी बनानी पड़ेगी। उस एरिया का क्राइम रिकॉर्ड ज्यादा दिखने लगेगा जिससे सरकार और आला अधिकारियो को जवाब देना पड़ेगा। इसी तरह राज्य में ज्यादा FIR दिखने से राज्य की छवि खराब होगी। विपक्षी दल इसका फायदा सरकार को नीचा दिखाने के लिए करेंगे जिससे सरकार फिर पुलिस से ही जवाब मांगेगी। इसी लिए पुलिस वाले FIR लिखने से इतना आना कानि करते हैं। मोबाइल चोरी तक कि FIR जल्दी नही लिखना चाहते हैं।