प्रकरण खुला तो मजिस्ट्रेट का पारा सातवें आसमान पर
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए डीएम ने
Dehradun: मात्र 14 साल की नाबालिग लड़के को सिर्फ इसलिए नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कर दिया क्योंकि उसे अधिक गुस्सा आता था। जिलाधिकारी डॉ राजेश को जब इस प्रकरण की जानकारी मिली तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए बालक को तत्काल नशा मुक्ति केंद्र से रिलीव करने के आदेश दिए और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहां जिन्होंने नशे का आदी ना होने के बावजूद भी बालक को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करा दिया।
जिलाधिकारी डाॅ0 आर राजेश कुमार द्वारा सभी मजिस्ट्रेट एवं समस्त जनपद स्तरीय अधिकारियों को प्रत्येक कार्यालय दिवस में किये गये कार्यों की आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए है। ओली गांव केसरवाला निवासियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा केसरवाला में बादल फटने व भारी वर्षा के कारण हुए भूकटाव से निजी, ग्राम समाज, वन विभाग, लोनिवि की सम्पत्ति को नुकसान होने की शिकायतों पर आज अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के.के. मिश्र द्वारा संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ ओली गांव केसरवाला का संयुक्त निरीक्षण करते हुए संबंधित विभागों के अधिकारियों को निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए।
नशा मुक्ति केंद्र में मिली भारी अनियमितताएं
इसी प्रकार जिलाधिकारी के निर्देशों के अनुपालन में नगर मजिस्ट्रेट कुश्म चैहान द्वारा समाज कल्याण अधिकारी एवं पुलिस विभाग की टीम के साथ गुजराती बस्ती (खुड़बुड़ा) में इनलाईटमैंन्ट फिलेशिप नशामुक्ति केन्द्र का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान केन्द्र में कई अनियमितताएं पाई गयी जिनमें प्रत्येक मरीज का उपचार का ब्यौरा न होना, केन्द्र में क्षमता से अधिक मरीज भर्ती होना, साफ-सफाई की उचित व्यवस्था न होना, केन्द्र में जिस स्थान पर मरीजों को भर्ती किया गया है में वेन्टिलेशन की उचित व्यवस्था न होना, तथा कोविड-19 प्रोटोकाॅल का पालन न किए जाने संबंधी अनियमितताएं पाई गयी, जिस पर उन्होंने उक्त केन्द्र के विरूद्ध कार्यवाही हेतु विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी देहरादून को प्रेषित की जा रही है।
सिर्फ गुस्सा करने पर भेज दिया नशा मुक्ति केंद्र
उक्त निरीक्षण के दौरान एक ऐसा बालक भी पाया गया है जिसकी उम्र लगभग 14 वर्ष है परंतु उक्त बालक द्वारा बताया गया कि वह नशे का आदी नहीं है। जब केंद्र संचालक से इस बात को पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि उक्त बालक नशा तो नहीं करता है परंतु अधिक गुस्सा करता है जिस कारण उसके नाना द्वारा बालक को इस नशा केंद्र में भर्ती कराया गया है।
बालक द्वारा नशा न किए जाने परन्तु फिर भी बालक को नशा मुक्ति केंद्र में जबरदस्ती भर्ती करने को नगर मजिस्ट्रेट द्वारा गम्भीरता से लेते हुए जिला समाज कल्याण अधिकारी एवं पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर को उक्त बालक को परिजनों के सुपुर्दगी करने तथा बाल अधिकारों का हनन करने पर संबंधितों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु पुलिस क्षेत्राधिकारी को पत्र प्रेषित किया गया है।
चूँकि बालक द्वारा अधिक गुस्सा करना बताया जा रहा है जिस कारण बालक के मनोविज्ञानी से जाँच करवाया जाना करवाया जाना तदनुसार बालक का इलाज कराया जाना आवश्यक पाते हुए, परंतु इस बालक का गरीब घर का प्रतीत होने पर बालक का मनोविज्ञानी से स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाने तथा इलाज कराए जाने हेतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित कर दिया गया है।