थोपा जाएगा या निर्वाचित विधायकों में से चुना जाएगा भाजपा सरकार का नया मुख्यमंत्री? – Bhilangana Express

थोपा जाएगा या निर्वाचित विधायकों में से चुना जाएगा भाजपा सरकार का नया मुख्यमंत्री?

नवनिर्वाचित विधायकों में से चुना जा सकता है विधायक दल का नेता, राजनीतिक स्थायित्व के लिए जरूरी है विधायक में से ही चुना जाना, उपचुनाव कराने के झंझट से ही मिलेगी मुक्ति, अनिल बलूनी और निशंक पर भी विचार करने की संभावना

Dehradun: उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों की सूरते हाल लगभग साफ हो चुकी है। उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी भाजपा बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री पद का सबसे चर्चित चेहरा पुष्कर सिंह धामी अब विजय टीम का हिस्सा नहीं है। बेहद अप्रत्याशित तरीके से खटीमा विधानसभा सीट से बड़े अंतराल पर हार चुके हैं। पार्टी हाईकमान के लिए अब उत्तराखंड के लिए नए मुख्यमंत्री का चुनाव करने की बैठकों का दौर शुरू होने वाला है।

6 महीने के कार्यकाल में भाजपा के लिए दिन-रात एक करने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद चुनाव हार गए हैं यानी कि अब उत्तराखंड के लिए नया चेहरा चुनना पड़ेगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या केंद्रीय हाईकमान उत्तराखंड में जीते हुए विधायकों की टीम से ही विधायक दल का नेता चुना जाएगा या फिर चुने हुए विधायकों में से ही कोई नया चेहरा उत्तराखंड को मिलेगा। अंदर खाने चर्चा है कि इस बार केंद्र हाईकमान विजय टीम के किसी सदस्य को नए सिरे से कमान सौंप सकती है लेकिन वहीं दूसरी ओर तिकड़म का दौर भी शुरू होने वाला है।

चुने हुए विधायकों में से छोड़ दे तो फिलहाल राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के नाम पर भी एकाएक चर्चाएं उठने लगी है तो हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का नाम भी दिया जा रहा है। हालांकि उत्तराखंड की जनता चाहती है कि चुने हुए विधायकों में से दिल्ली में बैठे “थिंक टैंक’ उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री चुने जैसा कि 6 महीने पहले पुष्कर सिंह धामी को चुना गया था। नवनिर्वाचित विधायकों में से विधायक दल का नेता चुने जाने से प्रदेश में राजनीतिक स्थायित्व का भी माहौल बनेगा पर साथ ही एक नई सीट पर उपचुनाव कराने का झंझट नहीं उठाना पड़ेगा।
नवनिर्वाचित विधायकों में से जिन नामों पर चर्चा की जा सकती है उनमें सुबोध उनियाल, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मुन्ना सिंह चौहान एवं मदन कौशिक प्राथमिकता पर हो सकते हैं।

उत्तराखंड में राजनीतिक स्थायित्व के लिए यह बेहद जरूरी है कि निर्वाचित विधायकों में से केंद्र हाईकमान अनुभवी नेता को चुने जो सरकार एवं संगठन में पूरी तरह से समन्वय बनाकर जनहित के निर्णय ले सके। साथ ही ऐसा नेता चुनना होगा जो साफ छवि का हो और उस पर भ्रष्टाचार या विवादित प्रकरण ना जुड़े हो। लंबे समय से उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को लेकर जो बवाल होता आया है उस पर अब ध्यान देने की जरूरत है और इसके लिए केंद्रीय हाईकमान को गंभीरता से निर्णय लेना होगा।