दोषी सुरक्षाकर्मियों पर कार्रवाई एवं निलंबन की मांग
चमोली के हेंलंग मं महिलाओं से घास छीनने के मामले में भले ही मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए गए हैं लेकिन जिस प्रकार से जांच चल रही है उससे लगता नहीं कि जांच जल्दी से किसी अंजाम पर पहुंचने वाली है। उत्तरखंड में शायद पहली बार ऐसा देखने को मिला था जब घास-चारा-पत्ती लेने वाली महिलाओं से छीना झपटी करते हुए गठरियां छीन ली गयीं। यही नहीं महिलाओं को थाने में बिठाया गया और बाद में उनके चालान कर उन्हें छोड़ा गया।
पूरे मसले में अब सामाजिक संगठन भी सामने आ गए हैं। मामले की जांच न्यायाधीश से कराए जाने की मांग की जा रही है। प्रकरण की जांच को लेकर उत्तराखंड संशकित है, लिहाजा जगह-जगह पर विरोध के स्वर उठ रहे हैं। राजधानी देहरादून, जोशीमठ, गोपेश्वर, चमोली सहित अन्य स्थानों पर इस प्रकरण पर आपत्ति जताई गयी है। मांग की जा रही है कि दोषी लोगों पर सरकार कार्रवाई करे, लेकिन यहां तो अभी जांच को लेकर ही कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कि प्रकरण को लेकर खुद कांग्रेस नेत्री प्रिंयका गांधी भी विरोध जता चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस प्रकरण को अभी तक उत्तराखंड के लोगों के लिए इसे मुद्दा नहीं बना पाई है।
बता दं कि घटना जोशीमठ हेलंग क्षेत्र से जुड़ी हुई है जहां महिलाओं को घास ले जाने पर सुरक्षा बलों ने रोका एवं उनके गठरियां छीन लीं। इस मुद्दे पर हेलंग एकजुटता मंच ने मोर्चा खोल दिया है और सीआईएसएफ तथा पुलिस कर्मियों के निलंबन की कार्रवाई की मांग की है। मंच ने न केवल पुलिसकर्मियों बल्कि चमोली के जिलाधिकारी को भी हटाने की मांग की है। मंच ने मांग की है कि मामले की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत या फिर रिटायर्ड न्यायाधीश से कराई जाए।
हेंलंग की घटना के बाद पूरे गढवाल में रोष व्याप्त है और दलील दी जा रही है कि यह तो शुरूआत है, अभी विरोध नहीं किया तो आने वाले दिनों में प्रदेश के पहाड़ों में रहने वालों को उनके हक-हकूक से भी वंचित कर दिया जाएगा।