11 वर्ष पूर्व सॉफ्टवेयर इंजीनियर की हरकत से दहल गई थी राजधानी
शव के टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रखे और मसूरी रोड सहित अन्य स्थानों पर फेंके
DEHRADUN: 11 वर्ष पूर्व अपनी पत्नी के हत्या करने के बाद उसके शव को बस्तर टुकड़ों में काटने वाले पति को अदालत में जमानत नहीं मिल पाई है। स्वास्थ्य का हवाला देते हुए हत्यारे पति ने अंतरिम जमानत के लिए अर्जी डाली थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अब इस मामले में 7 जुलाई को पुनः सुनवाई की जाएगी। इस मामले में आज मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
ज्ञात हो कि पेशे से इंजीनियर व देहरादून निवासी राजेश गुलाटी ने 17 अक्टूबर 2010 को अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्मम तरीके से हत्या कर दी। साथ ही अपराध को छिपाने के मकसद से उसने शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रिज में डाल दिया था । 12 दिसम्बर 2010 को अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून आया तो हत्या का खुलासा हुआ। देहरादून कोर्ट ने राजेश गुलाटी को पहली सितम्बर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही 15 लाख रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया, जिसमें से 70 हजार राजकीय कोष में जमा करने व शेष राशि उसके बच्चों के बालिग होने तक बैंक में जमा कराने के आदेश दिए थे।
कोर्ट ने इस घटना को जघन्य अपराध की श्रेणी में माना। अनुपमा के साथ 1999 में प्रेम विवाह किया था। राजेश गुलाटी ने निचली अदालत के इस आदेश को हाइकोर्ट में 2017 में चुनोती थी। मंगलवार को उसकी तरफ से इलाज के लिए अंतरिम जमानत प्रार्थनापत्र पेश किया गया। फिलहाल हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर सरकार को आपत्ति दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।